Sunday 3 December 2017

भरोसा टूटता कैसे है।

किसी पर भरोसा नहीं रहा। आज कल लोग मतलबी होते जा रहे है। काम पड़ने पर तो आप को बाप भी बना सकते है. और काम निकल जाने पर आप कंहा और हम कंहा'
           ये उन दिनों की बात है। जब मैं आठवी क्लास में था। मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त था। लेकिन मुझे ये  नहीं मालूम था की वो हम को दोस्त मनता  है की नहीं। मैं अपनी हर एक बात उस को बताया करता था। जैसे की "आज मैं ने क्या खाया 'क्या पहना 'कंहा गया था 'किस्से मिला था। लेकिन वो कभी भी ये सब नहीं बताया करता था। उसकी  खुशी या फिर गम में हमेसा उसका साथ दिया करता था। यहां तक की वो नाराज़ होता भी तो हम को ही मनाना पड़ता था। फिर चाहे गलती किसी का भी हो......... मैं उस पर बहुत भरोसा करता था AS A FRIEND की वो कभी भी मेरा भरोसा नहीं तोड़ेगा।
            भरोसा टूटता कैसे है।
एक दोस्त दूसरे दोस्त पर भरोसा इसलिए करता है। क्योकि कोई भी परेशानी हो तो वह आप की मदद करे। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। मैं परेशानी में था। और ये परेशानी भी उसी के कारन था। कारन क्या था हम नहीं बता सकते है। में इतना परेशान था की सुसाइड करने वाला था। तभी मेरे दिल ने मुझको समझाया,ये सब  गलत है। तभी मैंने उसे कॉल किया और बोला तुम्हारी ज़रूरत है वह बोला  नहीं आसक्ता हूँ मुझे कुछ काम है। मैंने बोला ठीक है। ....... कुछ देर बाद फिर मेने कॉल किया और अब तो आजा, वह साफ साफ मना कर दिया। तो बहुत अजीब सा लगा। तभी  मैं उसके घर गया और बोला  क्या बात है यार मुझे तो बताओ।वह कुछ नहीं बोला। क्योकि वह ये जनता था गलती मेरी है इस कारण वह मुझसे बात नहीं कर रहा था बात तो दूर की बात है। वह हम को पहचान भी नहीं रहा था। वह दिन मुझे अभी भी याद है. वह साफ साफ बोला था "कोन हो तुम " मेरे पैर तले जमीन गिसक गई।.........
              उसके वजह से मैं आज तक किसी भी दोस्त पर जल्दी भरोसा नहीं करपाता हूँ
              इसलिए कहते है भरोसा ईस्वर पर और खुद पर किया करो।  
मुबस्सर जिफा। ...