Sunday 26 November 2017

आज कल तो भलाई का ज़माना ही नहीं रहा।

गप शप में आपका स्वागत है


                आज आप शप में। मैं अपने मन की भावना व्यक्त करना चाहता हूँ आज मेरे साथ एक घटना घटित हुई। जो मुझे कुछ सोचने पर मजबूर कर गई। घटना कुछ इस प्रकार हुई। की एक दुकान मे महिला का आगमन हुआ। और मैं ठीक उसके सामने वाले दुकान में खरा कुछ सामान ले रहा था। अचानक ही मेरी नजर उस दुकानदार और उस ग्रहक महिला पर चली गई। मैं बड़े गौर से उनकी बात सुनने लगा।
वह महिला ग्राहक दुकानदार से सामान की मांग कर रही थी। वह दुकानदार भी बड़े चाव से अपने दुकान का सामान एक अच्छे विक्रेता की तरह समझा-समझा कर अच्छे बुरे का फर्क बता कर बेचने की कोशिश कर रहा था।

आख़िरकार उस महिला को उसके पसंद का सामान मिल गया।  परन्तु जो सामान उस महिला ने पसंद किया वह कम दाम और कम गुणवत्ता का था इसलिए उस दुकानदार ने सोचा की क्यों न उस महिला को  थोड़े से ज्यादा दाम में अच्छी गुणवत्ता वाला सामान दे।

जब दुकानदार ने उस महिला को ये सब समझाया तो उस महिला ने अजीब सा व्यवहार किया वे कुछ भी समझने के बदले बिना कुछ कहे यूँहीं छोड़ के चली गई। उसके बाद वह विक्रेता काफी मायूस हो गया। वो समझ नहीं सका की क्या हो गया। "


इस घटना के बाद मुझसे रहा नहीं गया।  मैं उसके पास गया और उससे पूछा किया हुवा भाई तुम इतने मायूस क्यों हो गए।  उस दुकानदार ने मायूस भरे शब्दों में कहा, क्या कहूं भाई "आज कल तो  भलाई का ज़माना ही नहीं रहा।"

कहीं न कहीं मैं उसकी इस बात से सहमत था..........

3 comments:

  1. BILKUL SAHI KAHA AAPNE
    ZINDAGI ME JAANE KITNE AUNBHAW MILE HAIN JISME
    AAPKI KAHI BAAT KA ANUBHAW HUA HAI..


    BHALAI KA JAMANA NAHI RAHA....

    MAGAR EK BAAT ISME BHI CHHUPI HUI HAI....
    BHALAI TO BHALAAI HAI...ISKA KOI TOD NAHI HAI...

    CHAHE KUCHH BHI HO JAAYE BHALAAI NAHI CHHODNI CHAHIYE..
    LOG SALAH KO NAHI MAANTE MAGAR BHALAI KO SABHI MAANTE HAI.

    GOOD POST
    ACHCHHA LIKH LETE HO ....

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